मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल अपने एक दिवसीय बस्तर प्रवास के दौरान कुमरावंड स्थित शहीद गुंडाधुर कृषि महाविद्यालय परिसर में भूमपाल विद्रोह के जननायक रहे वीर गुंडाधुर की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि बस्तर के आदिवासी जननायक में से एक रहे वीर गुंडाधुर ने भूमकाल जैसे महान विद्रोह का नेतृत्व किया। आज उनकी प्रतिमा स्थापित कर उनके योगदान को चिरस्थाई बनाने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय परिसर में प्रतिमा स्थापित होने से हमारे युवा भी उनके अदम्य साहस और वीरता से परिचित हो सकेंगे। बस्तर क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आदिवासी संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए बस्तर के आदिवासी नायक सदैव मुखर रहे और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। सरकार भी बस्तर सहित समूचे छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति को सहेजने लिए संकल्पित होकर कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण मद से स्वीकृत राशि दस लाख से निर्मित शहीद वीर गुण्डाधुर की मूर्ति के अनावरण के दौरान मुख्यमंत्री श्री बघेल ग्राम नेतानार से पहुंचे वीर गुंडाधुर के परिजनों में उनके परपोते जयदेव नाग, पुनु नाग, दुलारू नाग, परदेसी नाग से भी मुलाकात की।

शहीद वीर गुण्डाधुर-
शहीद वीर गुंडाधुर ने आदिवासियों की धरती को बचाने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध ‘भूमकाल’ आंदोलन 1910 का नेतृत्व किया था । भूमकाल आंदोलन भूमकाल का अर्थ भूमि में कम्पन या भूकंप से है। भूमकाल एक ऐसा आंदोलन था जिसने सम्पूर्ण बस्तर को हिलाकर रख दिया था। इस आंदोलन के पीछे अनेक कारण थे इनमें वन नीति, अनिवार्य शिक्षा, धर्म परिवर्तन, बेगारी प्रथा, नौकरशाही आदि प्रमुख था। भूमकाल विद्रोह की इतनी सूक्ष्म योजना तैयार की गई थी कि आदिवासियों ने तीर-धनुष और भाला-फरसा के साथ अंग्रेजी सेना का डटकर मुकाबला किया। यही कारण है आज छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पूरा देश वीर गुंडाधुर के शौर्य को जानने लगा है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वीर गुण्डाधुर की स्मृति में साहसिक कार्य और खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए गुण्डाधुर सम्मान स्थापित किया है।

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