मुख्यमंत्री चंद्रनाहू कुर्मी क्षत्रिय समाज के वार्षिक अधिवेशन में हुए शामिल

मुख्यमंत्री ने कुर्मी समाज के छात्रावास भवन का किया उद्घाटन

मुख्यमंत्री को नागर, तलवार और पगड़ी पहनाकर किया सम्मानित

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज कवर्धा के गांधी मैदान में चंद्रनाहू कुर्मी क्षत्रिय समाज के वार्षिक अधिवेशन के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि कुर्मी समाज कृषि आधारित समाज है और प्रारंभ से ही खेती-किसानी से जुड़ा हुआ है। प्रदेश के कृषक वर्ग को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा कृषकों के हित में अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज स्वर्गीय डॉ. खूबचंद बघेल, स्वर्गीय डॉ. चंदूलाल चंद्राकर और अन्य पूर्वजों का सपना था कि छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हो और छत्तीसगढ़िया किसान, मजदूर, श्रमिक, गरीब तथा पिछड़े तबकों की स्थिति में सुधार हो। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार सहित सभी क्षेत्रों छत्तीसगढ़ की स्थिति बेहतर हो। हमने साढ़े चार सालों में समाज के सभी वर्ग के लोगों की स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास किया है। इस मौके पर समाज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को किसानों के प्रतीक नागर, तलवार और पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने समाज द्वारा निर्मित छात्रावास भवन का उद्घाटन भी किया। अधिवेशन में पंडरिया विधायक श्रीमती ममता चंद्राकर, अपेक्स बैंक के अध्यक्ष श्री बैजनाथ चंद्राकर, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य श्री महेश चंद्रवंशी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारी सरकार आने के बाद हमने सबसे पहले किसानों का कर्जा माफ किया। समर्थन मूल्य में धान की साथ-साथ कोदो, कुटकी, रागी, मक्का और गन्ना खरीदी कर रहे है। इससे किसानों के आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। राजीव गांधी किसान गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना से किसानों, ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति बदलााव आया है। राज्य के किसान कर्ज से चिंता मुक्त हो गए है। उन्होंने कहा कि सरकार की किसाना हितैषी नीतियों के चलते राज्य में खेती-किसानी को लेकर लोगों में रूचि बढ़ी है। खेती छोड़ चुके लोग भी अब खेती-किसानी से जुड़ने लगे है। उन्होंने कहा कि राज्य में समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या और धान उर्पाजन की मात्रा बीते साढ़े चार सालों में दोगुनी हो गई है। पंजीकृत धान का रकबा बढ़कर अब 32 लाख हेक्टेयर हो गया है।

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