Buddha Purnima 2024:- बुद्ध पूर्णिमा आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, और उपाय से लेकर सबकुछ

बुद्ध पूर्णिमा के दिन सिर्फ भगवान बुद्ध का जन्‍म ही नहीं हुआ था, कहा जाता है कि उन्‍हें बुद्धत्व की प्राप्ति भी इसी दिन हुई. इतना ही नहीं, वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ. कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लगभग एक माह तक मेला लगता है

बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बुद्ध पूर्णिमा बहुत बड़ा त्‍योहार है. ये पर्व सिर्फ भारत में ही नहीं मनाया जाता, बल्कि चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान जैसे दुनिया के कई देशों में बुद्ध जयंती के तौर पर मनाया जाता है. बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दिये जलाते हैं और फूलों से घर सजाते हैं. इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है. गौतम बुद्ध के प्रसिद्ध तीर्थस्‍थलों जैसे बोधगया, कुशीनगर, लुम्बिनी और सारनाथ में इस दिन विशेष पूजा होती है.

भगवान बुद्ध का महानिर्वाण
भगवान बुद्ध का धर्म प्रचार 40 वर्षों तक चलता रहा। अंत में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पावापुरी नामक स्थान पर 80 वर्ष की अवस्था में ई.पू. 483 में वैशाख की पूर्णिमा के दिन ही महानिर्वाण प्राप्त हुआ। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में एक महीने तक चलने वाले विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश विदेश के लाखों बौद्ध अनुयायी यहां पहुंचते हैं।
अष्टांगिक मार्ग

महात्मा बुद्ध ने बताया कि तृष्णा ही सभी दुखों का मूल कारण है। तृष्णा के कारण संसार की विभिन्न वस्तुओं की ओर मनुष्य प्रवृत्त होता है और जब वह उन्हें प्राप्त नहीं कर सकता अथवा जब वे प्राप्त होकर भी नष्ट हो जाती हैं तब उसे दुख होता है। तृष्णा के साथ मृत्यु प्राप्त करने वाला प्राणी उसकी प्रेरणा से फिर भी जन्म ग्रहण करता है और संसार के दुख चक्र में पिसता रहता है। अत: तृष्णा को त्याग देने का मार्ग ही मुक्ति का मार्ग है।
पूजन विधि (Buddha Purnima 2023 Pujan Vidhi)

प्रात:काल में स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करें. पीपल के वृक्ष को भी जल अर्पित करना चाहिए. इस दिन चूंकि कुछ क्षेत्रों में शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनिदेव की तेल, तिल और दीप आदि जलाकर पूजा करनी चाहिए. शनि चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं या फिर शनि मंत्रों का जाप कर सकते हैं. अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा भी अवश्य देनी चाहिए.

बुद्ध पूर्णिमा शुभ योग (Buddha Purnima Shubh Yog)

बुद्ध पूर्णिमा इस बार बहुत ही खास मानी जा रही है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, शिव योग, शुक्र सूर्य युति से शुक्रादित्य योग, राजभंग योग और गजलक्ष्मी राजयोग का निर्माण होने जा रहा है.  सर्वार्थ सिद्धि योग- 23 मई को ये योग सुबह 9 बजकर 15 मिनट से शुरू

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