जानकारी के मुताबिक वर्ष 2015 में दुर्ग निवासी कमल सेन का बिल्डर सिंघानिया से व्यावसायिक लेन देन को लेकर विवाद हुआ था । इस दौरान सिंघानिया ने सेन के सामने आई पी एस जीपी सिंह को फोन करने की बात कही, मगर फोन पर कोई बात नहीं हुई थी । इसके 6 साल बाद 2021 में कमल सेन ने सुपेला थाने में एक एफ आई आर दर्ज कराकर कहा कि जीपी सिंह ने उनसे 20 लाख की मांग करते हुए धमकी दी है । कमल सेन के आवेदन पर भिलाई के सुपेला थाना में जीपी सिंह के खिलाफ भयादोहन का अपराध दर्ज किया गया। इस एफआईआर को निरस्त करने आईपीएस सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डीबी में मामले की सुनवाई हुई । कोर्ट ने माना कि, 6 साल बाद जाकर शिकायतकर्ता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है जो एक काफी लम्बा समय है । इसके साथ ही किसी लोक सेवक के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने धारा 197 में अनुमति लेनी होती है , जो नहीं किया गया । इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इस एफआईआर पर रोक लगाई है।
बता दें, कि आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ कांग्रेस शासन काल में अलग अलग मामले में जुर्म दर्ज किया गया। उन्हें जेल भी भेजा गया व बर्खास्त कर दिया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने कोर्ट में अपील पेश की। कोर्ट ने उनके पक्ष में निर्णय देते हुए राज्य शासन को उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों को चार सप्ताह में निरस्त कर बहाल करने का आदेश दिया है।
